राजकुमार गोयल

जीन्द के जाने माने युवा समाज सेवी राजकुमार गोयल का जन्म 17 मई 1975 को हरियाणा के कैथल जिले में हुआ। उनके पिता का नाम रामनिवास गोयल व माता का नाम मूर्ति देवी है। जन्म के कुछ साल के बाद ही यह परिवार जीन्द में आकर रहने लगा। राजकुमार गोयल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जीन्द के गोपाल विधा मन्दिर स्कूल में की। बचपन से ही गोयल में देशभक्ति के संस्कार कूट-कूट कर भरे थे। स्कूल शिक्षा के दौरान ये संस्कार और ज्यादा प्रफूल्लित होते रहे। दूसरों की सेवा को ये अपना धर्म समझते रहे। स्कूल शिक्षा के दौरान इन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। देशभक्ति व धार्मिक नाटक मंचन में तो इनकी और भी ज्यादा गहरी रूचि थी। नाटक मंचन के दौरान लोक मान्य बाल गंगाधर तिलक, शहीद भगत सिंह, जैसे महान पुरूषों के रोल में जहां उनके आदर्शो को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया वहीं इन महान आत्माओं के विचारों को अपने जीवन में भी उतारा। गोयल ने उच्च शिक्षा जीन्द के राजकीय स्नातकोतर महाविद्यालय से प्राप्त की। यहां से उन्होंने नान मैडिकल में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। कालेज शिक्षा के दौरान राजकुमार गोयल छात्र नेता के रूप में प्रसिद्व रहे। 


यहां उन्होंने कईं वर्ष छात्र संघ के चुनाव लड़े और जीते। यहां छात्रों की समस्याओं के निदान के लिए गोयल हर कदम पर आगे रहते थे। छात्र संघ चुनाव के दौरान पत्रकार उनके पास आते थे। उनका साक्षात्कार लेते थे। जो अगले दिन न्यूज पेपरों में पढने को मिलता था। बस यहीं से उनको लगा कि पत्रकारिता ही समाज को दिशा देने का सबसे अच्छा एक कदम है। बस यहीं से उनकी रूचि मीडिया के चौथे स्तंभ प्रैस की तरफ हुई। उनका विषय तो विज्ञान था लेकिन बीएसएसी करने के बाद उनकी रूचि पत्रकारिता की तरफ बढ़ती गई। उन्होंने कुरूक्षेत्र युनिवर्सिटी से पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर का डिप्लोमा किया और उसके बाद स्थानीय समाचार पत्रों में पत्रकारिता शुरू की। इस दौरान कईं साल तक उन्होंने स्थानीय समाचार पत्रों में संवाददाता के तौर पर काम किया। 


इस दौरान उन्हें कईं बार आल इंडिया रेडियो रोहतक से विभिन्न विषयों पर अपनी आवाज में वार्ता देने का भी मौका मिला। उसके बाद उन्हांेने गुरू जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी हिसार से जनसंचार में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। इस दौरान उन्हें स्थानीय समाचार पत्र से राष्ट्रीय समाचार पत्रों में काम करने का मौका मिला। उन्होंने राष्ट्रीय समाचार पत्र दैनिक भास्कर व पंजाब केसरी में काम किया। पंजाब केसरी समाचार पत्र में तो कईं वर्षो तक कार्य करने का मौका मिला। पत्रकारिता करने के दौरान ही मन में कानून की जानकारी लेने की ईच्छा प्रबंल हुई और इसी इच्छा को पूरा करने के लिए उत्तरप्रदेश की डा.बी.आर.अम्बेडकर यूनिवर्सिटी से संबंधित वृन्दावन के वृन्दावन ला कालेज में दाखिला लिया और यहां से एल.एल.बी की डिग्री प्राप्त की। 

प्रिंट मीडिया यानी राष्ट्रीय समाचार पत्रों में कार्य करते-करते इलैक्ट्रोनिक मीडिया यानि न्यूज चैनलों में कार्य करने की ईच्छा हुई। ईच्छा उस समय जल्द ही पूरी हो गई जब देश के प्रमुख चैनलों में से एक जी न्यूज चैनल में उनकी नियुक्ति संवाददाता के तौर पर हुई। उन्होंने जीन्द के अलावा रोहतक, फतेहाबाद, कैथल, झज्जर इत्यादि कईं जिलों से अच्छी-अच्छी स्टोरियां चैनल पर भेजने का भी काम किया। जी न्यूज चैनल के साथ-साथ अन्य कई चैनलों से भी जुड़ने का मौका मिला। इस दौरान पत्रकारिता एवं जनसंचार में डाक्टर आफ फिलोस्पी की डिग्री करने की ईच्छा प्रबल हुई। पीएचडी की डिग्री करने के लिए राजस्थान की सिंघानिया यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रेशन करवाया। 


गोयल ने तीन साल तक गुरू जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी हिसार के एडवरटाईजमेंट, मैनेजमेंट व पब्लिक रिलेशन विभाग की चेयरपर्सन डाक्टर बंदना पांडेय के मार्गदर्शन में अपराध समाचारों का युवाओं पर प्रभाव विषय पर गहन शोध किया और पीएचडी की डिग्री हासिल की। राजकुमार गोयल क्राईम विषय में पीएचडी करने वाले जीन्द जिले के पहले कार्यरत पत्रकार बन गए हैं। गोयल ने पीएचडी शोध के दौरान 500 से ज्यादा युवाओं से अपराध से जुड़े प्रश्नों पर उनके विचार जाने। अपराध क्या है, समाचार क्या है, युवा कौन है इन शब्दों की परिभाषा पर गहन मंथन किया गया है। शोध में सामने आया है कि 40 फीसदी युवा मानते हैं कि प्रिंट मीडिया, इलैक्ट्रोनिक मीडिया व अन्य माध्यमों से जो भी अपराध समाचार दिखाए जाते हैं उन समाचारों के देखने व सुनने से समाज में अपराध का ग्राफ बढ़ा है जबकि 30 प्रतिशत युवा मानते हैं कि अपराध समाचारों से अपराध का ग्राफ तो बढ़ा है लेकिन इसके साथ-साथ अपराध बढऩे के अन्य कारण भी है। 20 फीसदी युवा ऐसे पाए गए जो इस बात से सहमत नहीं है कि अपराध समाचारों को देखने व सुनने से अपराध बढ़ता है। 10 फीसदी युवाओं ने तो इस बारे में अपना कोई विचार ही नहीं प्रकट किया। 


इन आंकड़ों को देखते हुए संबंधित शोध प्रस्तुत करते हुए यह सुझाव दिया गया कि युवाओं की इस सोच में बदलाव लाना अति आवश्यक है कि अपराध समाचारों से ही समाज में अपराध का ग्राफ बढ़ा है। अपराध समाचार अपराध बढ़ाने के लिए प्रस्तुत नहीं किए जाते बल्कि ज्ञान बढ़ाने, सूचना देने व अपराध समाचारों से बचने के लिए प्रस्तुत किए जाते है।


गोयल पत्रकारिता करने के साथ-साथ सामाजिक कार्यो से भी जुड़े है। वे देश व प्रदेश की दर्जनों सामाजिक संस्थाओं व धार्मिक संस्थाओं से जुड़े है। पत्रकारिता में उल्लेखनीय सेवाओं को देखते हुए हरियाणा के महामहिम राज्यपाल व मुख्यमंत्री तक से वे सम्मानित हो चुके है। समाज सेवा के क्षेत्र में दर्जनों संस्थाएं उन्हें सम्मानित कर चुकी है। उनकी योग्यता को देखते हुए जिला प्रशासन ने उन्हें पिछले अरसे जिला रैंिगग कमेटी का भी सदस्य नियुक्त किया। गोयल जीन्द की रैडक्रास सोसायटी के आजीवन सदस्य भी है।