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02 Feb.
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02 Feb. 2023

स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे लाला लाजपत राय

स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे लाला लाजपत राय : राजकुमार गोयल
लाला लाजपत राय जी को उनके जन्मदिन पर किया गया याद

जीन्द : लाला लाजपत राय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे। उन्होंने न केवल देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी बल्कि समाज के गरीब और कमजोर वर्ग की मदद करने में भी उनका कोई सानी नही रहा। यह वक्तव्य अखिल भारतीय अग्रवाल समाज के प्रधान डा. राजकुमार गोयल ने दिया। गोयल आज यहां समाज की एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर रामधन जैन, सावर गर्ग, पवन बंसल, सुभाष गर्ग, मनोज गुप्ता, सोनू जैन, गोपाल जिंदल, पवन सिंगला, राजेश गोयल, बजरंग सिंगला, जय भगवान, सुशील सिंगला, मनीष गर्ग, रजत सिंगला इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
गोयल ने कहा कि लाला लाजपत राय जी का जन्म आज ही के दिन 28 जनवरी को पंजाब के मोगा जिले के एक अग्रवाल परिवार में हुआ। उनके पिता मुंशी राधा कृष्ण अग्रवाल सरकारी स्कूल में उर्दू और फारसी भाषा के शिक्षक थे। उनकी माता का नाम गुलाब देवी था जो कि एक धार्मिक महिला थी। अंग्रेजों की लाठियों से अपना बलिदान देने वाले लाला लाजपत राय ने देश की आजादी के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी। लाला लाजपत राय उन स्वतंत्रता सेनानियों का नेतृत्व करते थे जिन्होने अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए आक्रामक रवैया अपनाया। उन्हे गर्म दल के नेता के रूप में जाना जाता था।
गोयल ने कहा कि 1897 में आए भीषण आकाल के समय जब अग्रेजों ने लोगों को भूखे मरने के लिए छोड़ दिया था उस समय लाला लाजपत राय ने आगे आकर गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों की खूब मदद की थी। 1905 में बंगाल विभाजन का विरोध करने के लिए उन्होंने जोरदार आंदोलन चलाया। अग्रेजों ने 1914 से 1920 तक लाला लाजपत राय को भारत में प्रवेश करने की इजाजत नही दी। इस दौरान अमेरिका में रहकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए इंडियन इन्फोर्मेशन ब्यूरो एवं इंडिया होमरूल जैसी संस्था का संचालन किया।
गोयल ने कहा कि लाला लाजपत राय को पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता था। पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना में भी उनका हाथ रहा। लाहौर में 30 अक्टूबर 1928 को जब लाला लाजपत राय अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों व साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे तो अग्रेजों द्वारा उन पर बेरहमी से लाठियों से हमला बोला गया। इस हादसे में वे बुरी तरह जख्मी हुए और 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय ने अपनी अंतिम सांस ली।
गोयल ने कहा कि हमें लाला लाजपत राय जैसे महापुरुषों के बलिदान को नही भूलना चाहिए। हमें ऐसे महापुरुषों के जन्मदिन और बलिदान दिवस अवश्य मनाने चाहिएं। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से जहां महापुरुषों को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है वही आज की युवा पीढ़ी के अंदर देश भक्ति के जज्बात भी पैदा किए जा सकते है।

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