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शहर में बेसहारा पशुओं और बंदरों की समस्या
जीन्द विकास संगठन के प्रधान राजकुमार गोयल का कहना
शहर में बेसहारा पशुओं और बंदरों की समस्या, अधिकारी मौन
छह माह से गोवंश पकड़ने का अभियान बंद, बंदर पकड़ने का टेंडर नहीं कर रही नगर परिषद
जींद : जींद विकास संगठन के प्रधान राजकुमार गोयल ने कहा कि शहर में कोई ऐसी सड़क व गली नहीं मिलेगी, जहां बेसहारा पशुओं का झुंड न मिले। हर साल पशुओं की वजह से होने वाले हादसों में लोगों की जान जाती है उसके बावजूद अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे।
गोयल का कहना है कि 6 माह से ज्यादा समय हो चुका है, शहर में बेसहारा गोवंश पकड़ने का अभियान बंद है। इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार है। पिछले सालों में नंदीशालाओं में जो गाय व सांड पकड़ कर नंदीशाला में छोड़े गए, उनके लिए चारे की व्यवस्था नहीं की गई। उन्हें नंदीशाला प्रबंधन कमेटी और दानी सज्जनों के भरोसे छोड़ दिया गया। गोयल का कहना है कि फिलहाल शहर में करीबन दो हजार बेसहारा गोवंश घूम रहा है। गर्मियों में मच्छरों से बचने के लिए गोवंश रात को सड़कों पर आ जाता है। अंधेरे की वजह से सड़क पर बैठा गोवंश दिखाई नहीं देता, जिससे हादसे होने का खतरा बढ़ जाता है।
गोयल का कहना है की वहीं दूसरी तरफ पिछले एक साल से बंदर पकड़ने का ठेका भी खत्म हो चुका है। नगर परिषद को दो हजार बंदर पकड़ कर जंगलों में छोड़ने के लिए टेंडर देना है। यह फाइल भी पिछले छह माह से कार्यालयों के चक्कर काट रही है। नगर परिषद इसका टेंडर नहीं छोड़ पाई है। अर्बन एस्टेट, डिफेंस कालोनी, स्कीम नंबर पांच-छह, 10 जैसी पाश कालोनियों में भी बंदरों की भरमार है।
गोयल का कहना है कि शहर में हालात ऐसे हैं कि बंदरों के डर से बच्चों को छत व गली में अकेला नहीं छोड़ सकते। न ही छत पर कपड़े सूखा सकते हैं। बंदर काफी लोगों को काट चुके हैं। कुछ साल पहले गली में खेल रही एक बच्ची के पीछे बंदर लग गया था। बंदर के डर से वो बच्ची नहर में कूद गई की। नहर में डूबने से उसकी मौत हो गई थी लेकिन इसके बावजूद प्रशासन सबक नहीं ले रहा। इस प्रकार के अनेको हादसे हो रहे है लेकिन प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रही।