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27 May
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27 May 2020

हरियाणा प्रदेश व्यापार मण्डल ने जींद के डीसी से मिलकर की मांग

हरियाणा प्रदेश व्यापार मण्डल ने जींद के डीसी से मिलकर की मांग
नई सब्जी मण्डी में मासाखोरों को काम करने की इजाजत दी जाए

जींद, 26 May 2020 : हरियाणा प्रदेश व्यापार मण्डल का एक शिष्ठमण्डल डीसी से मिला और उनसे मांग की कि मासाखोरों को नई सब्जी मण्डी में काम करने की इजाजत दी जाए। शिष्ठ मण्डल में जिला प्रधान महाबीर कम्प्यूटर व प्रदेश प्रवक्ता राजकुमार गोयल प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
इस शिष्ठमण्डल ने जींद के डीसी के सामने मासाखोरों की समस्या विस्तार से रखी। महाबीर कम्प्यूटर व राजकुमार गोयल ने कहा कि लोकडाउन के बाद से इन बैचारों का काम-धंधा चौपट होकर रह गया है। पूरा शहर खुल चुका है। लेकिन मासाखोरों को सब्जी मण्डी में बैठने की इजाजत नहीं दी गई है। तब से मासाखोर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आखिरकार मजबूर होकर इन्हें अनिश्चितकालीन धरना भी शुरू करना पड़ा। डीसी से मांग की गई की काम-धंधा न होने की वजह से ये मासाखोर बेरोजगार हो गए है और इन्हें रोजी-रोटी के लाले पड़ गए है।
मासाखोर राजपाल और सत्यवान ने इस मौके पर गुहार लगाई की डीसी साहब उनके बच्चे भूखे मर रहे है। उन्हें नई सब्जी मण्डी में बैठने की इजाजत दी जाए ताकि वे दो वक्त की रोटियों का प्रबन्ध कर सकें। इन्होंने कहा कि डीसी साहब वे विधायक से लेकर प्रशासन के सभी अधिकारियों तक गुहार लगा चुकें हैं। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहा। आपसे गुजारिश नई सब्जी मण्डी में बैठने की इजाजत दें।
इस मौके पर डीसी ने शिष्टमण्डल की मांग को बड़े ध्यान से सुना और कहा कि वे नहीं चाहते की किसी की रोजी-रोटी छीने। इस मौके पर उन्होंने जींद के एसडीएम को इस शिष्ठ मण्डल से मिलकर इनकी समस्या का समाधान करने की बात कही।
डीसी से मिलने के बाद यह शिष्टमण्डल राजकुमार गोयल और महाबीर कम्प्यूटर के नेतृत्व में जींद के एसडीएम से मिला और उनके समक्ष मासाखोरों से सम्बन्धित यह पूरी समस्या रखी। एसडीएम ने कहा की जींद की नई सब्जी मण्डी में कोई भी रजिस्ट्रर्ड मासाखोर नहीं है। ऐसे में मासाखोरों को इजाजत देने में दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि इन मासाखोरों के लिए सब्जी मण्डी से बाहर जींद तीन अलग-अलग स्थान नियुक्त किए गए है। मासाखोर इन स्थानों को सब्जी बेचने के इस्तेमाल कर सकते हैं।

बॉक्स :
व्यापारी नेता राजकुमार गोयल का कहना है कि ये मासाखोर पिछले 25 साल से यहां बैठते थे। प्रशासन ने कोरोना बिमारी के चलते इन मासाखोरों को अस्थाई तौर पर यहां से उठाया था। अब चूंकि पूरा शहर खुल चुका है। ऐसे में इन गरीब मासाखोरों को बैठने की इजाजत क्यों नहीं दी जा रही? क्यों अब इन मासाखोरों के सामने रजिस्ट्रर्ड मासाखोर का पेच अड़ा दिया गया है। प्रशासन की यह वायदा खिलाफी है। इन मासाखोरों को तुरन्त यहां बैठने की इजाजत दी जाए।

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