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26 Jun.
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26 Jun. 2022

चौथे साल भी नगर परिषद का नया भवन नहीं हो पाया तैयार

जीन्द विकास संगठन के अध्यक्ष राजकुमार गोयल का कहना
चौथे साल भी नगर परिषद का नया भवन नहीं हो पाया तैयार
देरी के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी हो तय
लघु सचिवालय में ही चल रहा है नगर परिषद कार्यालय
जगह की कमी के कारण कर्मचारियों और आमजन को हो रही परेशानी

जींद : जींद विकास संगठन के अध्यक्ष राजकुमार गोयल का कहना है कि शहर में नगर परिषद के नया भवन का निर्माण साल 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुआ था। तब नगर परिषद को चलाने वाले लोगों का दावा था कि साल 2020 तक यह भवन बनकर तैयार हो जाएगा लेकिन करीब साढ़े तीन साल बाद भी यह भवन बनकर तैयार नहीं हुआ है।
राजकुमार गोयल का कहना है कि नगर परिषद का कार्यालय पिछले करीब चार साल से लघु सचिवालय के ग्राउंड फ्लोर पर चल रहा है। जहां न तो स्टाफ और अधिकारियों के लिए बैठने के लिए पर्याप्त जगह है और न ही यहां काम के लिए आने वाले लोगों को सुविधाएं मिल पा रही हैं। नगर परिषद में एक-एक काम के लिए कई चक्कर काटने पड़ते हैं। जिससे मानसिक रूप से तो प्रताड़ना होती ही है साथ ही जितनी बार भी कार्यालय आना होता है, बाहर पार्किंग के 10 रुपये देने पड़ते हैं।
गोयल का कहना है कि विकास कार्यों के निर्धारित समयावधि में पूरा करने की अधिकारियों व ठेकेदार की जवाबदेही होनी चाहिए। लेकिन प्रोजेक्ट में देरी पर को जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। पहले प्रोजेक्ट में देरी के लिए कोरोना काल का हवाला दिया गया। लेकिन स्थिति सामान्य होने के बाद भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका है। इस साल के अंत तक भी नगर परिषद का कार्यालय लघु सचिवालय से नए भवन में शिफ्ट होने की उम्मीद बहुत कम ही है। प्रोजेक्ट में देरी के लिए ठेकेदार से ज्यादा जिम्मेदारी अधिकारियों की बनती है। क्योंकि एक साल से ज्यादा समय तक तो ठेकेदार को बजट ही नहीं मिला। सरकार से बजट आने के बाद दो से तीन माह तक उसके बिलों की फाइल कार्यालय में अटकी रही। अगर जनता के प्रतिनिधि भी अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभाते तो यह नौबत न आती और प्रोजेक्ट अपने निर्धारित समय में पूरे होते, जिसका लाभ शहरवासियों को मिलता।
बाक्स :
छोटे-छोटे कामों के लिए भी महीनों लग जाते हैं
जीन्द : डा. राजकुमार गोयल का कहना है कि नगर परिषद कार्यालय में छोटे-छोटे काम, जो एक दिन से लेकर 10 दिन के अंदर हो सकते हैं। उन कामों को पूरा करने में भी महीनों लग जाते हैं। प्रॉपर्टी आइडी जारी करने की जिम्मेदारी नगर परिषद की है लेकिन इसके लिए भी आम आदमी को कई माह तक कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं।

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