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16 Apr.
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16 Apr. 2020

निर्भया के दरिंदो को फांसी दिए जाने की खुशी में कईं संगठनों द्वारा जींद में बांटे गए लड्डू

निर्भया के दरिंदो को फांसी दिए जाने की खुशी में कईं संगठनों द्वारा जींद में बांटे गए लड्डू
इन संगठनों ने सरकार से की मांग की आज के दिन को प्रति वर्ष निर्भया न्याय दिवस के रुप मे मनाया जाए
साथ ही देश प्रदेश के किसी बड़े संस्थान का नाम निर्भया के नाम पर रखा जाए और
निर्भया की याद में बहादुर लड़कियों को हर साल निर्भया अवार्ड से सम्मानित किया जाए

जींद, 20 March 2020 : निर्भया के दरिंदो को फांसी दिए जाने की खुशी में आज कईं संगठनों द्वारा शहर के बाजारों में लड्डू बांटे गए। इन संगठनों ने लड्डू बांटकर जहाँ ख़ुशी का इजाहर किया वहीँ सरकार से यह मांग भी कि की आज के दिन को प्रति वर्ष निर्भया न्याय दिवस के रुप मे मनाया जाए । साथ ही देश प्रदेश के किसी बड़े संस्थान का नाम निर्भया के नाम पर रखने और निर्भया की याद में बहादुर लड़कियों को हर साल निर्भया अवार्ड से सम्मानित करने की मांग भी की गयी।
निर्भया के दरिंदो को फांसी दिए जाने की खुशी में प्रमुख सामाजिक संगठनों अखिल भारतीय अग्रवाल समाज जींद, शाइनिंग स्टार फाउंडेसन जींद, महात्मा गाँधी शिक्षा एवं समाज विकास संगठन जींद द्वारा आज जींद के बाजारों में लडू बांटे गए और ख़ुशी का इजहार किया गया। इस अवसर पर अग्रवाल समाज के प्रधान राजकुमार गोयल, राजकुमार भोला, मनजीत भोंसला, सावर गर्ग, पवन बंसल, सुरेश चौहान, किशन फौजी, प्रीति वर्मा, पूनम, निशा, मीनाक्षी, सोनू, कोमल, नवीन इत्यादि प्रमुख तौर पर उपस्थित थे। अग्रवाल समाज के प्रधान एवं प्रमुख समाज सेवी राजकुमार गोयल का कहना था कि उन्हें बड़ी खुशी है कि 7 साल की लंबी लड़ाई के बाद आज निर्भया के दरिंदों को फांसी दी गयी है। इंसाफ देर में जरूर मिला लेकिन सही मिला। आज जहां निर्भया की माँ इस फैसले से बेहद खुशी है वही पूरा देश खुशी मना रहा है।
महात्मा गाँधी शिक्षा एवं समाज विकास संगठन जींद के प्रधान राजकुमार भोला का कहना था की निर्भया के दोषियों को काफी लेट सजा मिली। इसके लिए पुरे देश को एक लम्बा इन्तजार करना पड़ा। कितनी बार फांसी की सजा सुनाई गयी लेकिन हर बार रिट लगाकर दोषी फांसी से बचते रहे। शाइनिंग स्टार फाउंडेसन जींद के प्रधान मंजीत भोंसला का कहना था की 7 साल का इन्तजार कोई छोटा इन्तजार नहीं होता। पूरा देश तब से दोषियों को फांसी देने की मांग कर रहा था। अदालतों द्वारा फांसी की सजा देने एक बाद भी दोषी बार बार बच रहे थे। अब इन दोषियों को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया है उन्हें अपने बुरे कर्मों की सजा मिल गयी है।

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ये संस्थाएं पहले भी कई बार निर्भया के दोषियों को सजा देने की मांग कर चुकी थी। इसके इलावा इन संस्थाओं द्वारा पिछले अरसे जींद में राज्यस्तरीय निर्भया अवार्ड समारोह भी आयोजित किया गया था। इस समारोह में पुरे प्रदेश से चयनित की गई लगभग तीन दर्जन ऐसी बेटियों को निर्भया अवार्ड से सम्मानित किया गया था जिन्होंने किसी भी क्षेत्र में विशेष उपलब्धि हासिल कर समाज का नाम रोशन किया हो। इनमें एक नाम था पानीपत की सविता आर्य का जो दुर्गा शक्ति ऐप के लिए अभियान चला कर महिलाओं को जागरूक कर रही है। इन्हीं बेटियों में एक नाम था कुरूक्षेत्र की मुस्कान शर्मा का जिन्होंने अक्षय कुमार की फिल्म पेडमैन से प्रेरित होकर पेड बनाने का काम शरू किया और अब मुस्कान शर्मा निशुल्क पेड वितरित करने का काम कर रही है। इन्हीं बेटियों में एक नाम था हिसार की सुदेश चहल का जो राह ग्रुप फाउंडेशन चलाकर स्लम बस्तियों में जाकर निशुल्क शिक्षा देने का काम कर रही है। इन्हीं बेटियों में एक नाम था जींद जिले की सोनाली श्योकंद का जिन्होंने पराली जलाने पर अपने पिता तक की शिकायत कर डाली और उन्हे जुर्माना तक करवा डाला। इन्ही बेटियों में एक नाम था यमुनानगर कि गीता शर्मा का जो मिशन पाठशाला नाम से संस्था चलाकर स्लम बस्ती के जरूरत मंद लड़के व लड़कियों को निशुल्क शिक्षा देने का काम कर रही है।
एक नाम था हिसार जिले की बुलबुल का जिसने नैशनल डीफ व ब्लाइंड चौम्पयनशिप में सिल्वर मैडल जीतकर यह जता दिया कि सफलता में दिव्यांगता आड़े नहीं आती। एक नाम था जींद की शारदा आसरी का जो पिछले पांच साल से स्लम बस्ती के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देकर मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास कर रही है।एक नाम था जींद के गांव खटकड़ की रहने वाली रीतू खटकड़ का जिसने कबड्डी में इंटरनेशनल खेल कर वर्ल्ड कप जीता और देश का नाम रोशन किया। एक बेटी थी दालमवाला गांव की। नाम है सुमन। बचपन में चारा काटने की मशीन में दोनों हाथ कट गए थे लेकिन सुमन ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढ़ाई जारी रखी। लगातार मेहनत का परिणाम था कि शारीरिक विकलांगता आड़े नहीं आई और अब यह सुमन लाइफ इनश्योरेंस कंपनी में एडवाईजर के तौर पर कार्य कर रही है। इन्हीं बेटियों में एक नाम था कुरूक्षेत्र की पुनम सैनी का जो महिला सुरक्षा को लेकर समय-समय पर सेमीनार आयोजित करवाती रहती है। एक नाम था जींद जिले की ही रेखा धीमान का जो उड़ान होंसलों की संस्था के तहत मासिक धर्म जागरूकता अभियान चलाती है और इसी अभियान के तहत 1100 से ज्यादा लड़कियों को निशुल्क नैपकीन वितरित कर चुकी हैं। इसके साथ-साथ 21 बेटियों को गोद लेकर उन्हें निशुल्क कोचिंग देने का काम कर रही हैं।

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इससे पहले ये संस्थाएं देश व् प्रदेश की सरकारों से निर्भया की याद में कई मांग भी रख चुकी हैं। जिसमे हरियाणा के किसी भी बड़े संस्थान, युनिवर्सिटी का नाम निर्भया के नाम पर रखने, निर्भया की याद में प्रदेश स्तरीय निर्भया अवार्ड शुरू करने और इस अवार्ड से हर स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर ऐसी निर्भीक लड़कियों को सम्मानित करने जो देश व प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं प्रमुख है।
PHOTO : लड्डू बांट कर ख़ुशी का इजहार करते राजकुमार गोयल व् अन्य पदाधिकारी

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