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19 Jun.
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19 Jun. 2020

जानी मानी साड़ी मार्किट पर लोक डाउन की भारी मार

जानी मानी साड़ी मार्किट पर लोक डाउन की भारी मार
25 फीसदी से भी कम रह गई है ब्रिकी, दूसरे जिलों के ग्राहक आने हो गए हैं बंद
साड़ी व्यापारियों की सरकार से मांग जीएसटी, इंकम टैक्स, बिजली के बिल, लिमिट के ब्याज में दे भारी छूट

जींद, 15 June 2020 :  हमेशा ग्राहकों से गुलजार रहने वाली पूरे हरियाणा में प्रसिद्व जीन्द की जानी मानी साड़ी मार्किट पर लोक डाउन की भारी मार पड़कर रह गई है। ब्रिकी न के बराबर है। स्टाफ की तनख्वाह व दुकानों के किराये देने तक के लाले पड़ गए है। ब्रिकी 25 फीसदी से भी कम होकर रह गई है। जो ग्राहक दूसरे जिलों से यहां साड़ी खरीदने आते थे वे आने बंद हो गए हैं। साड़ी व्यापारियों की सरकार से मांग है कि जीएसटी, इंकम टैक्स, बिजली के बिल, लिमिट के ब्याज में भारी छूट दी जाए ताकि दुकानदारों को कुछ राहत मिल सके।

साड़ी व्यापारियों का कहना है कि पिछले 50-55 दिन से जीन्द में लोकडाउन लगा हुआ था। कुछ दिन पहले ही यह लोकडाउन खुला है लेकिन ब्रिकी पूरी तरह से ठप्प है। 25 फीसदी भी काम नहीं रहे है। जो ग्राहक बाहर से आते थे वे आने बंद हो गए हैं जिनकी वजह से काम बिल्कुल ठप्प है। सिर्फ लोकल के ग्राहक आ रहे हैं और वो भी नाममात्र के। मेन काम शादियों का होता था लेकिन शादियां हो नहीं रही जिसकी वजह से अब ब्रिकी नाम की कोई चीज नहीं रही।

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साड़ी एसोसिएशन के प्रधान सावर गर्ग का कहना है कि बिना ब्रिकी के हर चीज के लिए मोहताज होकर रह गए है। स्टाफ की तनख्वाह व दुकान का का किराया देने तक के पैसे नहीं है। सरकार को चाहिए कि जीएसटी, इंकम टैक्स, बिजली के बिल, लिमिट के ब्याज में भारी छूट दी जाए ताकि दुकानदारों को कुछ राहत मिल सके। सावर गर्ग का कहना है कि उन्होंने लोकडाउन के दौरान अपनी अपनी दुकाने बंद करके सरकार के आदेशों की पालना की। अब सरकार को भी व्यापारियों के बारे में सोचना चाहिए। व्यापारियों की दुकानों पर ताला लगने की नौबत आ गई है।

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साड़ी व्यापारी अशोक गोयल का कहना है कि हालात बिल्कुल खराब है। व्यापारियों के दिल बुझे हुए है। कोई टर्नओवर नहीं है। व्यापारियों को कुछ राहत मिलेगी तभी व्यापारी जिंदा रहेगा। अशोक गोयल का कहना है कि इस महामारी में लोगों के हालात यह हो गए हैं कि वे वहीं चीज खरीद पाते हैं जो जरूरी है। साड़ी और कपड़े का नम्बर सबसे लास्ट में आता है ऐसे में साडिय़ों का काम बुरी तरह से औंधे मुंह गिरा है।

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