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महापुरूष किसी जाति विशेष के नहीं होते बल्कि
महापुरूष किसी जाति विशेष के नहीं होते बल्कि पूरे समाज के लिए प्ररेणा के स्त्रोत होते हैं: राजकुमार गोयल
संविधान निर्माता ही नहीं बल्कि एक दिग्गज अर्थशास्त्री भी थे डॉ भीमराव अंबेडकर: राजकुमार गोयल
जींद, 14 April 2021 : महापुरूष किसी भी एक जाति विशेष के नहीं होते बल्कि पूरे समाज के लिए प्ररेणा के स्त्रोत होते हैं। यह व्यक्तव्य जीन्द विकास संगठन के अध्यक्ष एवं प्रमुख समाजसेवी राजकुमार गोयल ने दिया। गोयल आज यहां गांव रधाना में आयोजित डां भीमराव अम्बेडकर जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे। समारोह में डा भीमराव अम्बेडकर की 110वीं जयंती के उपलक्ष मे केक काटा गया। मेघावी छात्राओं को सम्मानित किया गया। साथ ही डा भीमराव अम्बेडकर के जीवन परिचय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन भी किया गया। समारोह का आयोजन डा भीमराव अम्बेडकर सोसायटी द्वारा किया गया। इस अवसर पर डिप्टी सीएमओ डा राजेश भोला ने विशिष्ठ अतिथि के तौर पर शिरकत की। समारोह में प्रधान संदीप मुनीराम, बालीराम, सुरेश कुमार, अशोक कुमार, बलबीर, तिलक राज, रमन, कृष्ण, रणधीर, हरफुल,
कृष्ण, महेन्द्र्र, टैकराम, जगदीश, भुन्डू राम इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
जयंती समारोह को संबोधित करते हुए राजकुमार गोयल नेे कहा कि हमें ऐसे महापुरूषों की जयंतियां धूमधाम से मनानी चाहिए और ऐसी जयंतियों पर हमें उनके आदर्श पर चलने का प्रण लेना चाहिए। गोयल ने कहा कि 14 अप्रैल 1891 को जन्मे डॉ भीमराव अंबेडकर ने न सिर्फ देश का संविधान बनाने में अहम भूमिका निभाई बल्कि एक अर्थशास्त्री के तौर पर भी उन्होंने देश के निर्माण में बड़ा योगदान किया। उन्होने कहा है कि भीमराव अंबेडकर का नाम आते ही भारतीय संविधान का जिक्र अपने आप आ जाता है। सारी दुनिया आमतौर पर उन्हें या तो भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका के नाते याद करती है या फिर भेदभाव वाली जाति व्यवस्था की प्रखर आलोचना करने और सामाजिक गैरबराबरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले योद्धा के तौर पर। इन दोनों ही रूपों में डॉक्टर अंबेडकर की बेमिसाल भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता। लेकिन डॉक्टर अंबेडकर ने एक दिग्गज अर्थशास्त्री के तौर पर भी देश और दुनिया के पैमाने पर बेहद अहम योगदान दिया इसकी चर्चा कम ही होती है।
इस अवसर पर डा राजेश भोला ने कहा कि आज भले ही ज्यादातर लोग उन्हें भारतीय संविधान के निर्माता और दलितों के मसीहा के तौर पर याद करते हो लेकिन डा अंबेडकर ने अपने केरियर की शुरुआत एक अर्थशास्त्री के तौर पर की थी। डॉ अंबेडकर किसी अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल करने वाले देश के पहले अर्थशास्त्री थे। उन्होंने 1915 में अमेरिका की प्रतिष्ठित कोलंबिया यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की। इसी विश्वविद्यालय से 1917 में उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी भी की। इतना ही नहीं इसके कुछ वर्ष बाद उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स से भी अर्थशास्त्र में मास्टर और डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्रियां हासिल की। खास बात यह है कि इस दौरान बाबा साहेब ने दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से डिग्रियां हासिल करने के साथ ही साथ अर्थशास्त्र के विषय को अपनी प्रतिभा और अद्वितीय विश्लेषण क्षमता से लगातार समृद्ध भी किया।
इस अवसर पर जयंती समारोह के आयोजक सन्दीप मुनीराम ने कहा कि डा भीमराव अम्बेडकर एक विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता, अर्थशास्त्री, कानूनविद, राजनेता और समाज सुधारक थे। उन्होने दलितों और निचली जातियों के अधिकारों के लिए छुआछूत और जाति भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संर्घष किया। उन्होने भारत के संविधान को तैयार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके योगदान को कभी भी भूलाया नहीं जा सकता। सन्दीप मुनीराम ने कहा कि उनकी संस्था अम्बेडकर जी के आदर्शों पर चलते हुए समाज को आगे बढाने का काम कर रही है। आज के समारोह में करीबन 31 मेघावी छात्राओं को सम्मानित किया गया। साथ ही समाज की दर्जनों अन्य प्र्रतिभाओं को भी सम्मानित किया गया।