Blog Manager

Universal Article/Blog/News module

03 Dec.
In: India
Views: 0
03 Dec. 2020

मुख्यमन्त्री से की मांग जीन्द को नगर परिषद की बजाय नगर निगम बनाया जाए

जीन्द विकास संगठन ने मुख्यमन्त्री से की मांग
जीन्द को नगर परिषद की बजाय नगर निगम बनाया जाए
ताकि यहां विकास के द्वार खुले और जीन्द का विकास हो

जीन्द, 01 Dec 2020 : जीन्द विकास संगठन के अध्यक्ष राजकुमार गोयल ने मुख्यमन्त्री से मांग की है कि जीन्द को नगर परिषद की बजाय नगर निगम बनाया जाए ताकि यहां विकास के द्वार खुले और जीन्द का विकास हो। यह मांग आज यहां हुई बैठक में की गई। बैठक में राजकुमार भोला, मुकेश शर्मा, मनजीत भौंसला, आईडी गोयल, बीएस गर्ग, सावर गर्ग, अशोक कुमार, सुशील धनाना, मनोज काहनोरिया, पवन बन्सल इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
गोयल का कहना है कि हरियाणा गठन के साथ ही जीन्द जिले का गठन हो गया था लेकिन जीन्द का वह विकास नहीं हो पाया जो 50 साल में होना चाहिए था। जीन्द पहले नगर पालिका था उसके बाद नगर परिषद बना लेकिन विकास की सीढ़ी पर नहीं चढ़ पाया। उसके बाद जीन्द को एनसीआर के क्षेत्र में भी शामिल कर लिया गया। एनसीआर में शामिल होने के बाद यह महसूस किया जा रहा था कि जीन्द का खूब विकास होगा लेकिन जीन्द वहीं का वहीं रहा।
गोयल का कहना है कि 2011 की जनगणना के अनुसार जीन्द की जनसंख्या लगभग 1 लाख 67 हजार थी जो अब करीबन ढ़ाई लाख के आस-पास होने का अनुमान है। जो नगर निगम बनता है वह 3 लाख की जनसंख्या से ज्यादा पर बनता है। यदि शहर के आस-पास के करीबन 10 से 12 गांव मिला दिए जाए तो नगर निगम बनने की शर्त पूरी होती है। गोयल का कहना है कि नगर निगम बनने से विभागो की संख्या बढ़ जाती है। पब्लिक हैल्थ, हुडडा जैसे विभाग जो नगर परिषद से अलग काम करते है वे नगर निगम बनने के बाद निगम में शामिल हो जाते है। विभाग बढ़ने से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि विकास के कार्य करने के दौरान विभागो का आपस में तालमेल बना रहता है क्योंकि वे सब एक अफसर के अण्डर में काम करते है। जीन्द जैसे शहर में हो रहे विकास कार्यों में सबसे बड़ी दिक्कत यही आ रही है कि विभागो का आपस में तालमेल नहीं है। नगर निगम बनने से विभागो में तालमेल बना रहता है और अच्छे तरीके से विकास के काम होते है।
गोयल का यह भी कहना है कि नगर निगम बनने से विकास का कार्य करने के लिए बजट भी ज्यादा आता है जिससे शहर सुन्दर बनता है। इसके अलावा निगम बनने पर आईएएस स्तर का निगम कमीशनर भी बैठता है। जिसकी निगरानी में विकास कार्य अच्छे से होते है। इसके साथ-साथ जिन गांवो को शहर में शामिल किया जाता है उन गांवों का स्टेटस बढ़ता है। गोयल का कहना है कि यदि जीन्द नगर परिषद को नगर निगम बना दिया जाए तो निसंदेह यहां विकास के द्वार खुलेंगे और जीन्द का विकास होगा। इसलिए मुख्यमन्त्री से मांग है कि जीन्द को नगर परिषद की बजाय नगर निगम बना दिया जाए।

No comments yet...

Leave your comment

32577

Character Limit 400