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फर्नीचर एसोसिएशन ने रोहतक रोड़ पर बनाई मानव श्रृंखला
फर्नीचर एसोसिएशन ने रोहतक रोड़ पर बनाई मानव श्रृंखला
प्रशासन से की मांग हमारे रोड़ को वन वे बनवा दो
जींद, 14 Dec 2018 : फर्नीचर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आज रोहतक रोड़ पर एक लंबी मानव श्रृंखला बनाई और जीन्द प्रशासन से अपनी मांग दोहराते हुए रोहतक रोड़ को वन वे बनवाने की मांग की साथ ही इस सड़क की नई सिरे से मुरम्मत करवाने की मांग भी की। इस अवसर पर फर्नीचर एसोसिएशन के संरक्षक राजकुमार गोयल, प्रधान राकेश सिंघल, रामधन, सतीश शर्मा, सुरेन्द्र गर्ग, रमेश सिंगला, जसवंत लाठर, नितिन, मुकेश, धर्मपाल, अमित जैन, राजू, अंकित, मनीष गर्ग, पवन गर्ग, सुंदरी, संजय गर्ग, सोमनाथ गोयल इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राजकुमार गोयल ने कहा कि देवीलाल चौक से लेकर रोहतक रोड़ बाईपास तक नेशनल हाइवे पूरी तरह से टूटा हुआ है। जगह जगह गहरे गढ्ढे बने हुए हैं। टूटे रोड़ की वजह से आवागमन पूरी तरह से प्रभावित होकर रह गया है। गोयल ने कहा कि कि जब तक इस पूरे रोड़ को चौड़ा बनाकर बीच में डिवाईडर नहीं बनाया जाता तब तक इस समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं है इसलिए प्रशासन से मांग की जाती है कि इस रोड़ को जल्द से जल्द वन वे बनवाया जाए। उन्होंने कहा किइस बारे में पहले भी कईं बार प्रशासन से मांग की जा चुकी है, आज फिर फर्नीचर एसोसिएशन के दुकानदारों ने इस रोड़ पर मानव श्रृंखला बनाकर जीन्द प्रशासन के समक्ष अपनी मांग को दोहराया है।
एसोसिएशन के प्रधान राकेश सिंघल का कहना है कि यह एक व्यस्त नेशनल हाइवे है जिस पर प्रतिदिन 50 हजार से ज्यादा व्हीकलों का आवागमन होता है। हाइवे पूरी तरह से टूटा हुआ हो और उस पर लगातार हजारों व्हीकल गुजरते हो तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि कि कितनी धूल मिटटी इस रोड़ पर उड़ती होगी और यहां के व्यापारियों का जीना कितना दूभर हो रहा होगा। एसोसिएशन के सतीश शमा व जसवंत लाठर ने कहा कि इस बारे में कईं बार प्रशासन को गुहार की जा चुकी है लेकिन प्रशासन है कि सुनता ही नहीं। प्रशासन को चाहिए कि जल्द से जल्द उनकी मांग की ओर ध्यान दे। एसोसिएशन के रामधन का कहना था कि पिछने दिनों इस सड़क की जो रिपेयरिंग की गई उसमें तो बिल्कुल ही लीपापोती की गई। बजरी डालते हुए तारकोल का इस्तेमाल न के बराबर किया गया। आलम यह हुआ कि 24 घंटे के अंदर अंदर रिपेयरिंग की गई यह सड़क दोबारा टूट कर रह गई।